आधुनिक गुरु और शिष्य
******आधुनिक गुरु और शिष्य*******
शिष्य - गुरुवर प्रणाम !!🙏🙏🙏🙏
गुरु - (मंद मंद मुस्काए हुए ) दीर्घायु भव पुत्र !🤚🤚
शिष्य - एक जिज्ञासा है प्रभु !
गुरु - विचार वान व्यक्ति को ही जिज्ञासा होती है। हे सौम्य ! तो क्या है तुम्हारी जिज्ञासा ।
शिष्य - उपनिषदों में पढ़ा है कि शरीर पंच भूतों से बना है ।
गुरु - उचित कहा पुत्र!
शिष्य- वर्तमान काल के उदाहरण के द्वारा इस प्रकार समझा जा सकता है ??
गुरु जी - पुत्र ! उदाहरण तो तुम्हारे हाथ में ही है जैसे निरंतर धारण किए रहना तुम्हारी मजबूरी बन चुका है । 🤳🤳
यह मोबाइल नामक यंत्र , जो शायद स्नान के समय भी बड़ी कठिनाई से ही अपने शरीर से दूर कर पाते होगे । पुस्तकें अवश्य बहुत दूर हैं ।
शिष्य - गुरु जी आपका यह कटाक्ष तो मेरा हृदय वेधन कर रहा है ।😔😔😔
गुरु - नहीं सौम्य ! देखो पंच भूतों से बने शरीर के समान तुम्हारा मोबाइल भी प्रिंटेड सर्किट बोर्ड , लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले , एक कीबोर्ड, माइक्रोफोन और स्पीकर से मिलकर बना है ।
यही तो हुआ शरीर । जिस प्रकार दुर्घटना - बीमारी आदि से यह शरीर नष्ट हो जाता है उसी प्रकार की दुर्घटना घटने पर इस मोबाइल का भी शरीर नष्ट हो जाता है।
शिष्य - धन्य हैं गुरु जी आप ।👏👏👏👏
गुरु - किंतु यह शरीर आत्मा के उपस्थित ना होने पर शव के समान है ठीक वैसे ही बिजली से चार्ज होने के बाद ही इस मोबाइल में आत्मा का प्रवेश होता है और यह मोबाइल फोन सावधानी से अपना कार्य करने लग जाता है ।
शिष्य - (हर्ष से उत्साहित होकर ) समझ में आ गया गुरुजी , चरण कहां हैं आपके ।
गुरु - अरे दुष्ट ! पहले तो यह बता कि मेरा शरीर *#@ मोबाइल कहां है ?
शिष्य - वह तो रहा गुरु जी , आप की पोथी के नीचे । (बड़े भोलेपन से )......कोई वीडियो चल रहा है उस पर।
गुरुजी- चल भाग .....( झुक कर खड़ाऊं उठाते हैं.).........🏃♂️🏃♂️🏃♂️
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